स्कूल बन गया प्रयोगशाला , बच्चो को पढ़ाना छोड़ बाबू के कार्य में व्यस्त शिक्षक Teacher Busy In Inline Entry Leaving Teaching Children , School Bacame Laboratary

शिक्षक कर रहे बाबू काम, प्राथमिक शालाओं में कम्प्यूटर और ऑपरेटर की मांग Teacher Busy In Inline Entry Leaving Teaching Children , School Bacame Laboratary 

a2zkhabri.com रायपुर - प्रदेश में कोरोना काल के बाद डेढ़ वर्ष पश्चात जब से स्कूल खुली है , तब से प्रदेश के अधिकांश शिक्षक पढ़ाई कराना छोड़ अन्य ऑनलाइन कार्यों में व्यस्त है। शिक्षा विभाग स्कूलों में ऐसे - ऐसे योजनाएं लाती है जिसमे शिक्षकों को बच्चों को पढ़ाने के अलावा मोबाइल मे भी घंटों काम करना पड़ता है। जाहिर है जब शिक्षक पढ़ाई के आलावा दूसरे कार्य करेंगे तो पढ़ाई बाधित तो होगी ही। जब पढाई बाधित होगी तो फिर शिक्षा गुणवत्ता कैसी आएगी। अतः शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को ऐसे नीति लानी चाहिए जिसमे शिक्षकों से सिर्फ पढ़ाई का कार्य लिया जाए। 

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शिक्षक बन गए बाबू - शिक्षक का मूल काम बच्चों को पढ़ाना होता है। लेकिन एक भी ऐसा दिन नहीं होगा जिस दिन शिक्षकों को पढ़ाई के आलावा अन्य कार्य नहीं करने पड़ते हो। शिक्षा के गुणवत्ता को बेहतर बनाने के उद्देश्य से छोटे - छोटे संकुल का गठन किया गया है। लेकिन जब से संकुलों की संख्या बढ़ी है तब से विभागीय कामों में भी भारी वृद्धि हो गई है। शिक्षकों से तत्काल ऑनलाइन एवं ऑफलाइन जानकारी माँगा जाता है। शिक्षक मज़बूरी में कार्यवाही के डर से बच्चों को पढ़ाना छोड़ डाक बनाने भीड़ जाता है। इस तरह से शिक्षक कम बाबू ज्यादा बन गया है। 

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कई जानकारियां ऑनलाइन भेजते है शिक्षक - शिक्षक अपने व्यक्तिगत कारणों से मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करता है।  लेकिन शासन प्रशासन स्कूल शिक्षा विभाग उनसे कई विभागीय जानकारियों को मोबाइल से ऑनलाइन प्रविष्टि कराता है। शिक्षकों की आधा इंटरनेट डेटा ऐसे ही ख़त्म हो जाती है। ऊपर से उन्हें मोबाइल इंटरनेट भत्ता भी नहीं दिया जाता। 

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स्कूलों में अभी कई ऑनलाइन एंट्री कार्य जारी है, और शिक्षा सत्र के अंत तक कई कार्य जारी भी रहेंगे। स्कूलों में अभी - बेसलाइन आकलन, छात्रवृत्ति एंट्री, जाति निवास एंट्री , मध्यान्ह भोजन की ऑनलाइन जानकारी, सूखा राशन वितरण, गणवेश वितरण, पुस्तक वितरण, सायकल वितरण, बच्चों की स्थापना की जानकारी , आधार कार्ड की जानकारी, बैंक डिटेल की जानकारी , शाला यु- डाइस डाटा सहित अनगिनत ऑनलाइन कार्य है। यदि शिक्षक का सारा समय इन कार्यों में निकल जायेगा तो फिर पढाई कब कराएगा। फिर बच्चों में गुणवत्ता कैसे आएगी। 

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प्राथमिक स्कूलों में भी हो बाबू की नियुक्ति - स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्य इतने बढ़ गए है कि अब प्राथमिक शलयों में भी कम्प्यूटर और बाबू की आवश्यकता हो गई है। यदि शासन - प्रशासन स्कूलों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा चाहती है तो शिक्षकों को सिर्फ बच्चों तक ही सिमित रखें। अन्य विभागीय कार्यों के लिए बाबू की नियुक्ति करें। प्राथमिक शिक्षा वास्तव में बुनियादी शिक्षा होती है ऐसे में प्राथमिक शिक्षकों को पूरा समय बच्चों को देना होता है। जब शिक्षक बच्चों से दूर रहेंगे क्या सीखेंगे। 

स्कूल बना गया प्रयोगशाला - वर्तमान में स्कूल का नाम बदलकर प्रयोगशाला रख दिया जाये तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। क्योंकि प्रति वर्ष स्कूलों में कई गतिविधिया बदल जाती है। शिक्षक इतने प्रकार के रजिस्टर मैंटेन करते रहते है कि उनका दिमाग भी चकरा जाता है। प्रतिवर्ष मूल्यांकन, आकलन सहित  प्रक्रियायों , फार्मेट में बदलाव से रजिस्टर , प्रपत्र आदि भी लगातार बदलने पड़ते है।  स्कूलों में प्रतिवर्ष नए - नए नीतियों का प्रयोग जारी है। अब स्कूल स्कूल नहीं प्रयोगशाला बन गया है। 

संकुल शिक्षक ग्रुप में तत्काल मंगाते है जानकारी - व्हाट्सएप्प ग्रुप में शिक्षा विभाग से कई तरह के लगातार आदेश जारी होने और बच्चों को पढ़ाना छोड़ डाक बनाने में व्यस्त रहने से कई शिक्षक नेता खासे नाराज है। शिक्षक नेता मनीष मिश्रा ने शिक्षा सचिव को पत्र लिखने का बयान दे चुके है। वही जाकेश साहू ने भी इस तरह के आदेशों , ऑनलाइन कार्यों पर प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया तो आंदोलन की चेतावनी और डीपीआई की घेराव करने की बात कह रहे है। शिक्षकों के संकुल ग्रुप में हर आधे - एक घंटे में जानकारी  निर्देश डलते रहते है। शिक्षक विभागीय कार्यवाही के डर से बच्चों को पढ़ाना छोड़ डाक बनाने में भीड़ जाते है। 

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