प्रदेश के 4500 प्राइमरी शिक्षकों के भविष्य दांव पर , 12 वीं में 45 फीसदी से कम अंक होने के कारण रोके जा रहे डीएलएड प्रमाण पत्र 4500 Teachers Of Chhattisgarh State Jobs In Danger
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यह स्थिति वर्ष 2017 में प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए निजी और सरकारी शिक्षकों के लिए डीएलएड , डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन प्रशिक्षण अनिवार्य किये जाने के कारण उत्पन्न हुई है। सभी शिक्षकों को मार्च 2019 तक प्रशिक्षित कराने का लक्ष्य रखा गया था ,साथ ही कम अंक प्राप्त करने वाले शिक्षकों को अंक सुधार का मौका भी दिया गया था।
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इन सभी शिक्षकों का डीएलएड पूर्ण करने के बाद भी अब इन सभी शिक्षकों का अंकसूची , मार्कशीट एनआईओएस ने रोक दी है। 12 वीं में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक की पात्रता की शर्त रखे जाने पर छत्तीसगढ़ में करीब 11 हजार अप्रशिक्षित शिक्षक प्रभावित हुए थे। इनमे से 4500 ने छत्तीसगढ़ राज्य ओपन स्कूल बोर्ड एवं अन्य बोर्डों की परीक्षा देकर अंकों में सुधार किया। एनआईओएस से उक्त बोर्ड सम्बद्ध नहीं है। इस लिए शिक्षकों का भविष्य फंस गया है , और शिक्षकों के डीएलएड प्रमाण पत्र जारी नहीं हो रहे।
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केंद्र सरकार की योजना के तहत देशभर के 12 लाख 50 हजार अप्रशिक्षित शिक्षकों ने डीएलएड के लिए पंजीयन कराया था। इनमे छत्तीसगढ़ से 55 हजार अप्रशिक्षित शामिल थे। प्रभावित शिक्षकों का दावा आठ दिसंबर 2017 को हुई एनआईओएस की बैठक में अफसरों ने कहा था कि शिक्षक किसी भी बोर्ड से अपने 12 वीं के अंक सुधार सकते है।
प्रमुख तथ्य -
1. केंद्र सरकार की पहल पर कराया गया था देशभर के अप्रशिक्षित शिक्षकों को डीएलएड कोर्स।
2. 2019 सितम्बर तक न्यूनतम 50 फीसद अंक के साथ 12 वीं कक्षा के दस्तावेज जमा कराएं।
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3. 2020 मार्च के बाद डीएलएड की अंक सूची रोके जाने के मामले शुरू आए।
4. 2020 नवम्बर में पता चला कि प्रदेश के करीब 4500 शिक्षक प्रभावित हो रहे है।
ओंकार सिंह प्रांताध्यक्ष छत्त्तीसगढ़ शिक्षक संघ का कथन - कहा गया था कि 12 वीं में 45 प्रतिशत से कम अंक वाले शिक्षकों को श्रेणी सुधार करना है। कितने विषय में और कौन से बोर्ड से करना है यह गाइडलाइन जारी नहीं की गयी थी। शिक्षकों ने राज्य ओपन बोर्ड से उत्तीर्ण होकर अपनी श्रेणी सुधार ली तो उनके प्रमाण पत्र को मान्य करना चाहिए ,नहीं तो इसका विरोध करेंगे।
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