दल्लीराजहरा/पढ़ाई तुहर दुआर Cgschool.in - कोरोना संकट के चलते वर्तमान में प्रदेश के प्राथमिक, मिडिल,हाई स्कूल,हायर सेकंडरी स्कूल एवं कालेजों में ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है। यह बड़े शहरों के बच्चों तथा आर्थिक रूप से मजबूत परिवार के बच्चों के लिए सही साबित हो रहा है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूली बच्चों को स्मार्ट फ़ोन के माध्यम से पढाई कराना असफल साबित हो रहा है।
इंटरनेट सुविधा के लिए पैसे की किल्लत - पालकों से चर्चा के दौरान यह बात सामने आया है कि गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवारों के पास सादे मोबाइल फ़ोन है। वे स्मार्ट फ़ोन खरीदने के स्थिति में भी नहीं है। कुछ मध्यमवर्गीय परिवारों ने ऑनलाइन क्लास हेतु कर्ज लेकर स्मार्ट फ़ोन ख़रीदा भी है लेकिन प्रत्येक माह महंगा रिचार्ज नहीं करा पा रहे है। और ऑनलाइन पढाई बगैर इंटरनेट की संभव नहीं है। बहुत से बच्चों ने आर्थिक तंगी के चलते ऑनलाइन क्लास को मज़बूरी में छोड़ रहे है अब उन्हें सिर्फ स्कूल खुलने का इन्तजार है।
भोजन व्यवस्था देखें या ऑनलाइन पढाई - गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवारों का कहना है कि लाक डाउन में लगभग 3 - 4 माह से मजदूरों एवं छोटे व्यवसायियों की आमदानी बंद रही है। शासन से चावल के रूप में कुछ सहयोग मिला लेकिन अन्य खर्च को चलाने के लिए साहूकारों से महंगे दर पर कर्ज लेने के लिए मजबूर हो गए है। अब उन्हें आर्थिक तौर पर संभलने के लिए 3 - 4 माह का और समय लगेगा। ऐसे में गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवार दो समय के भोजन के अलावा अन्य जरूरतों को पूरा करें आर्थिक व्यवस्था देखें या महँगी स्मार्ट फ़ोन ख़रीदे।
महंगे स्मार्ट फ़ोन खरीदना संभव नहीं - ऑनलाइन कक्षा के संदर्भ में ग्राम कोड़ेकसा , धोबेदंड, अरमुरकसा, खल्लारी सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के पालकों रामनारायण, बहोरिक नेताम, होरीलाल, अनिल कुमार, किशन लाल, दीपा बाई, सावित्री, गिरिजा साहू, एवं ऋतू पटेल ने कहा की स्कूलों के शिक्षकों के द्वारा बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने की बात सुनने को मिल रही है। लेकिन हमारे जैसे गरीब परिवार के बच्चों के लिए इसका कोई औचित्य नहीं है ,क्योकि ऑनलाइन क्लास हेतु स्मार्ट फ़ोन जरुरी है ,जो 8 से 10 हजार रूपये में मिलती है। प्रतिदिन मजदूरी करके अपना जीवन यापन करने वाले पालकों के लिए महंगे स्मार्ट फ़ोन खरीदना संभव नहीं है।
ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या - डौंडी विकास खंड के ग्रामीणों का कहना है कि ऑनलाइन पढाई केवल शहरो में संभव हो सकती है। जहाँ साधन संपन्न लोग रहते है। उनके बच्चों के पास स्मार्ट फ़ोन रहता है। बड़े शहरों में सभी कंपनी के मोबाइल नेटवर्क होता है। लेकिन ग्रामीणों क्षेत्रो में ऐसी स्थिति नहीं रहती यहाँ तो बहुत मुश्किल से बातचीत हो पाती है वहां ऑनलाइन क्लास कैसे चलेगी। कुछ ग्रामीणों ने कर्ज लेकर मोबाइल ख़रीदा और नेट पैक भी डलवाया लेकिन नेटवर्क की समस्या के चलते बच्चे चाहकर भी पढाई नहीं कर पाए।
कोरोना देखते हुए स्कूल कालेज बंद - प्रदेश में 13 मार्च से लेकर अब तक स्कूल कालेज बंद है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण फैलने का नाम ही नहीं ले रहा है। प्रदेश में प्रतिवर्ष 16 जून से नया शिक्षा सत्र प्रारम्भ हो जाता था, लेकिन अभी कब स्कूल खुलेगी उसकी कोई संभावना नहीं है स्कूल कालेज बंद होने के कारण सरकार ने ऑनलाइन पढाई करवाने का निर्णय लिया है। प्रदेश के सभी शिक्षक ऑनलाइन पढ़ा रहे है लेकिन इसमें व्यापक सफलता नहीं मिल पा रही है।
ऑनलाइन पढाई से बच्चों के आँखों पर पड़ रहा बुरा प्रभाव - प्रदेश में जब से छोटे बच्चों को ऑनलाइन के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है तब से छोटे बच्चों में आँखों की समस्या में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। चिकित्सकों का कहना है की मोबाइल के छोटे स्क्रीन में देर तक आंख गड़ाए रखने से आँखों के गंभीर बीमारी हो सकती है। अतः बच्चों को कम से कम ऑनलाइन पढने का सलाह दे रहे है। बहुत से शिक्षकों का मानना है की प्राथमिक स्कूल के बच्चो को ऑनलाइन पढाई से पूर्ण मुक्त रखनी चाहिए।
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