Dhyan Lagaiye Imunity Badhaiye - अगर बीमारियां हमारे शरीर में है तो स्वस्थ होने की शक्ति भी हमारे इसी शरीर में छिपी होती है। तरीके पते हो तो ज्ञानेन्द्रियों पर नियंत्रण ही शारीरिक या मानसिक अवसाद से निकलने की कारगर विधि है। कोरोना काल में आत्म नियंत्रण और आत्मिक शक्ति की जरुरत तो सभी को है ही, योगासन से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और इस समय खुद का ख्याल रखने के लिए जरुरी भी।
21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस Antarrashtriy Yoga Divas - अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है। यह वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है। और योग भी मनुष्यों को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया था, जिसकी पहल भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के बैठक में अपने भाषण में प्रस्ताव रखा था। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की मंजूरी मिली। जिसके बाद से 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
प्राणायाम क्या है- प्राणायाम शब्द प्राण +आयाम से मिलकर बना है। प्राण का आशय जीवन से है और आयाम का आशय आदान-प्रदान करना है अर्थात जीवन के लिए सांसों का आदान - प्रदान आवश्यक है।
अवस्थाएँ-
- पूरक - इसमें नाशिका द्वारा श्वास को अंदर की तरफ लेते है उसे पूरक कहा जाता है।
- कुम्भक- श्वास को भीतर रोकने की क्रिया को कुम्भक कहा जाता है।
- रेचक - श्वास को बाहर छोड़ने की क्रिया को रेचक कहा जाता है।
- शून्यक- श्वास को बाहर निकालकर श्वास को बाहर ही रोके रखना शून्यक कहलाती है।
प्राणायाम के तरीके -
1. प्राणायाम करते समय अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखनी चाहिए।
2. शांत एवं प्रदुषण रहित वातावरण होने चाहिए।
3. स्नान आदि से निवृत होकर ही बैठना चाहिए ,
4. भोजन के चार घंटे पश्चात और पानी पीने के दो घंटे बाद अर्थात बिलकुल खाली पेट प्राणायाम करनी चाहिए।
5. वस्त्र ढीले एवं आरामदायक होना चाहिए।
6. प्राणायाम करने के बाद जल पीना काफी लाभदायक होता है।
प्रमुख प्राणायाम एवं विधियां -
कपालभांति- कपालभांति में कमर सीधी रखें और सिद्धासन में बैठकर दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें। स्वास को तेजी से नाक से बाहर छोड़े और पेट को अंदर की तरफ खींचे। ध्यान रखें स्वास छोड़नी है लेनी नहीं है।
लाभ- शरीर में टॉक्सिन्स को बाहर निकालती है। इम्युनिटी बढ़ाता है तथा स्वास मार्ग को साफ़ करता है।
भस्त्रिका- भस्त्रिका का शाब्दिक अर्थ धौकनी है। धौकनी की तरह आवाज करते हुए। शुद्ध वायु को अंदर लिया जाता है। और अशुद्ध वायु को बाहर फेंका जाता है। तेज गति से स्वास ले और छोड़ें।
लाभ - फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। वात, पित्त, कफ के दोषो को दूर करता है।
उज्जायी प्राणायाम - सुखासन में बैठकर मुंह को बंद कर नाक के छिद्रों से वायु को फेफड़ो में भरने तक सांस खींचे। कुछ देर वायु को अंदर ही रखें और फिर नाक के दाए छिद्र को बंद कर वायु को धीरे- धीरे छोड़ें।
लाभ - स्नायु रोगों के लिए बेहद ही उपयोगी मोटापा, दमा और स्वास की रोग दूर होती है।
स्वस्तिकासन क्या है - स्वस्तिकासन को हमारे योग शास्त्र में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। स्वस्ति का अर्थ होता है शुभ और यह हर परिस्थिति में अच्छा महसूस कराता है। इस लिए स्वस्ति या शुभ आसान कहते है। यह आसन शरीर को स्थिर करने वाला है। ध्यान के लिए जब हम बैठते है तो शरीर का सम्पूर्ण अंग - प्रत्यंग अपनी सम्पूर्ण गति को इतनी मंद कर देता है कि बिलकुल ही सुसुप्त अवस्था में पहुँच जाती है। इस अवस्था में ऊर्जा संग्रहित होने लगती है। बाहर से ब्रम्हांड की ऊर्जा भी मिलती है। यह ऊर्जा शरीर की जरुरत होती है।
विधि -
- पहले पैरों को सामने फैलाएं।
- बाएं पैर को मोड़कर दाएं पैर के घुटने के भीतरी भाग से बाए पैर के तलवे से स्पर्श कराये।
- अब बाएं पैर तलवे को दाएं पैर की जांघ और पिंडलियों के बिच से ऊपर ऊपर निकाले।
- इसी प्रकार दाए पैर को मोड़कर बाएं पैर की जांघ और पिंडलियों के बीच के बीच से ऊपर निकाले।
- दोनों पैरों के पंजे जांघ और पिंडलियों के बीच दबे रहने चाहिए। तथा कमर सीधी होनी चाहिए।
- घुटने जमीन के संपर्क में हो।
- हांथों को ज्ञान मुद्रा में रखें।
लाभ -
- यह आसान शरीर को शुद्ध बनाता है।
- शरीर और जोड़ो को व्यवस्थित करता है।
- घुटनो के दर्द में लाभकारी होता है।
- कमर को सीधा करता है।
- मानसिक शांति प्रदान करता है।
निवेदन- कृपया कोरोना संकट काल में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए प्रतिदिन नियमित रूप से योगा, प्राणायाम, व्यायाम आदि अवश्य करें। कोरोना को हराने में मदद करें। इस जानकारी को सभी तक अवश्य शेयर करें।
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