प्रदेश के 5 लाख सरकारी अधिकारी , कर्मचारी गए हड़ताल पर , मांग पूरा नहीं होने पर अनिश्चितकालीन आंदोलन की चेतावनी State's 5 lakh government officials, employees went on strike, warning of indefinite agitation if the demand is not met
a2zkhabri.com रायपुर - प्रदेश के करीब 5 लाख शासकीय अधिकारी कर्मचारी केंद्र सरकार के सामन 34 फ़ीसदी महंगाई भत्ता व सातवें वेतनमान के अनुरूप गृहभाड़ा भत्ता की मांग को लेकर 5 दिनों के लिए कलम बंद हड़ताल पर है। आंदोलन के पहले दिन मंत्रालय व विभागाध्यक्ष कार्यालय सहित सभी मैदानी दफ्तरों में सरकारी कामकाज पूरी तरह ठप रहा। कर्मचारियों के आंदोलन में चले जाने से प्रदेश के लगभग सभी सरकारी दफ्तर सहित स्कूलों में तालाबंदी रही। लोग सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते रहे लेकिन कोई भी कर्मचारी नहीं मिला। वही स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन भी नसीब नहीं हुई। अधिकांश विद्यालयों के ताले भी नहीं खुले।
सरकारी दफ्तरों में पसरा सन्नाटा , आम लोगो को हुई भारी परेशानी - एक तरफ राज्य सरकार कर्मचारियों के जायज मांगों पर ध्यान नहीं दे रही , दूसरी तरफ राज्य के 5 लाख सरकारी अधिकारी , कर्मचारी लंबित महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के आधार पर गृह भाड़ा की गणना की मांग को लेकर आंदोलन पर चले गए है। जिस कारण से पुरे प्रदेश की पूरी सरकारी कामकाज ठप पड़ गया है। लोग कार्यालयों के चक्कर लगा - लगा कर वापस जा रहे है। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के आह्वान पर राजधानी रायपुर , बिलासपुर सहित पुरे प्रदेश के जिला ,ब्लाक , तहसील मुख्यालयों में सन्नाटा पसरा रहा।
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यह है मुद्दा , कमल वर्मा ने कही यह बात - फेडरेशन के मुताबिक 01 जुलाई 2019 से जुलाई 2022 तक स्वीकृत होने वाले महंगाई भत्ता को केंद्र सरकार के देय सामान तिथि से राज्य सरकार द्वारा लागू नहीं किया गया है। जिस कारण से अधिकारी एवं कर्मचारियों को हर माह कई हजार रूपये की आर्थिक हानि हो रही है। राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को केंद्र से 12 फ़ीसदी कम महंगाई भत्ता दे रही है। गृहभाड़ा छठवें वेतनमान के अनुसार दिया जा रहा है। जबकि यह सातवें वेतनमान के अनुरूप दिया जाना चाहिए। इस प्रकार छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को अन्य राज्यों के कर्मचारियों से सबसे कम महंगाई भत्ता व गृहभाड़ा दिया जा रहा है।
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माननीयों ने अपना वेतन बढ़ा लिए 70 हजार रूपये तक - प्रदेश के कर्मचारी अधिकारी जहाँ अपने अधिकार औरस वाजिब मांग के लिए सड़क पर है वही दूसरी और माननीयों (मंत्री , विधायकों ) ने अपना वेतन में 70 हजार रूपये तक का इजाफा कर लिए। वही कर्मचारियों के महंगाई भत्ता हेतु बजट का आभाव बताया जा रहा है। वेतन बढ़ोतरी के बाद मुख्यमंत्री का वेतन 2.50 लाख रूपये , विधानसभा अध्यक्ष का वेतन 1.95 लाख रूपये , नेता प्रतिपक्ष 190 लाख , मंत्री 1.90 लाख , संसदीय सचिव 1.75 लाख और विधायकों के वेतन 1.60 लाख रूपये तक पहुँच गया है। राज्य सरकार को भी तत्काल कर्मचारियों के जायज मांग को पूरा करना चाहिए।
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अनिश्चितकालीन आंदोलन की चेतावनी भी - राज्य के 5 लाख कर्मचारी मांग पूरा नहीं होने पर अनिश्चितकालीन आंदोलन में जाने चेतावनी भी दे रहे है। वही स्कूल शिक्षा विभाग का एक बड़ा गुट 25 जुलाई से ही अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर दिया है। यदि 5 दिनों में मांग पूरा नहीं होगी तो सरकारी दफ्तर खुल जायेंगे लेकिन स्कूलों में लेम समय तक ताला लटका की संभावना है। वही कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने अनिश्चितकालीन आंदोलन हेतु अभी तिथि की घोषणा तो नहीं किया है लेकिन बहुत जल्द मांग पूरा नहीं होने पर अनिश्चिकालीन आंदोलन होना तय है। वही बहुत सेकर्मचारी संगठन 5 दिन के आंदोलन के बाद से तत्काल अनिश्चितकालीन आंदोलन पर जाने की बात कर रहे है।
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