87 फ़ीसदी बच्चे और 92 फ़ीसदी शिक्षक फेल - पास व्यवस्था लागू करने सहमत Fail pass method and board exam will be applicable again from class 1st to 8th
a2zkhabri.com रायपुर - समग्र शिक्षा द्वारा सीजी स्कूल पोर्टल पर कराये गए सर्वे में 87 प्रतिशत बच्चे चाहते है कि प्रदेश में 8 वीं तक परीक्षा की फेल पास व्यवस्था फिर से लागू होनी चाहिए। वही कक्षा 5 वीं और 8 वीं कक्षा में फिर से बोर्ड परीक्षा लागू की जाए। वही 92 फ़ीसदी शिक्षक 8 वीं तक फेल पास व्यवस्था लागू करने सहमत है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में शिक्षक एवं बच्चों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। अब स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बहुत जल्द इस पर फैसला लेते हुए विभागीय आदेश जारी की जाएगी।
ब्रेकिंग - स्कूलों में कोरोना संकट ,,, संक्रमण बढ़ने पर फिर बंद होंगे स्कूल।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम में केंद्र सरकार ने दी है छूट - शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई ) एक्ट को लेकर दी गई छूट के बाद एक बार फिर प्रदेश में 5 वीं एवं 8 वीं परीक्षा शुरू करने पर चर्चा चल रही है। परीक्षा व्यवस्था को लेकर शिक्षकों और बच्चों के बीच एक सर्वे भी कराया जा रहा है। केंद्र सरकार से मिली छूट के बाद कई राज्य परीक्षा व्यवस्था को पूर्व की भांति लागू कर चुके है। आरटीई लागू होने के बाद 8 वीं तक के बच्चों को फ़ैल करने की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। आकलन के आधार पर सभी बच्चों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता है।
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सर्वे लिंक / cgschool.in पोर्टल में यहाँ से जाएँ।
वोट करने के लिए सबसे पहले ऊपर दी गई लिंक के माध्यम से पढ़ाई तुंहर दुआर पोर्टल पर जाएँ और लॉगिन करें , लॉगिन करने के बाद मोबाइल नंबर और पासवर्ड को दर्ज करें।फिर स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा कराये जा रहे उक्त सर्वे का प्रश्न आपके सामने होगा। जिसमे आप yes और no में अपना जवाब सब्मिट कर सकते है।
शिक्षा गुणवत्ता में भारी गिरावट - जब से शिक्षा के अधिकार अधिनियम लागू हुए है तब से प्रदेश के शिक्षा गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है। महीनों और सालों तक गायब रहने वाले बच्चे भी पास हो जा रहे है। जिससे बच्चों के मन में पढ़ने की लालसा ही खत्म होते जा रही है। सभी बच्चों को मालूम है कि हम स्कूल जाए या न जाएँ , पढ़े या न पढ़े पास तो हो ही जायेंगे। वैसे भी बगैर परीक्षा उत्तीर्ण और स्कूल आये बगैर बच्चों को अगली कक्षा में भेजने पर कई शिक्षाविदों ने अपनी राय देते हुए इसका विरोध किया है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम लागू होते ही शिक्षा में गिरावट आने पर कई राज्यों ने तत्काल पलटी मारते हुए पुराने व्यवस्था पर लौट चुके है।
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