बच्चों को परीक्षा में बैठाने शिक्षक कर रहे मशक्कत, डीपीआई के आदेश के बाद बच्चों की परीक्षा में बैठने रूचि नहीं Endline Assesment Exam Started , Teachers Going From House To House To Call The Students
a2zkhabri.com बिलासपुर - लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी आदेशानुसार 15 अप्रैल से बच्चों का स्कूल आना अनिवार्य नहीं है। यहाँ तक की 16 अप्रैल से आयोजित एंडलाइन आकलन परीक्षा में पालक चाहे तो अपने बच्चों को स्कूल परीक्षा दिलाने भेज सकता है। 16 अप्रैल से शुरू हुए आकलन परीक्षा ज्यादातर स्कूलों में बच्चों को बुलाने शिक्षक बच्चों के घरो तक दौड़ लगाते रहे। काफी मशक्कत के बाद बहुत से अनुपस्थित बच्चों को परीक्षा में बैठाया गया। बच्चों को घर से बुलाने में हुए देरी के कारण बच्चों की परीक्षा समय से आधे घंटे लेट से शुरू हुई।
छ.ग. डीए ब्रेकिंग - 17 के बजाय सिर्फ 07 फीसदी डीए राज्य के कर्मचारियों को ,,,
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी समय सारिणी अनुसार 16 अप्रैल से मिडिल स्कूल की वार्षिक / एंडलाइन परीक्षा शुरू हो गई है। पहले दिन ही परीक्षा में अब्यवस्था का यह आलम रहा कि बच्चे परीक्षा दिलाने स्कूल ही नहीं आए। दरअसल लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा 15 अप्रैल से बच्चों का स्कूल आना स्वैच्छिक कर दिया है। साथ ही बच्चे परीक्षा में बैठे या नहीं बैठे उन्हें पिछली कक्षा में रोकना भी नहीं है। यही कारण है कि बच्चों को परीक्षा में बैठने में कोई रूचि नहीं है , उन्हें यह भी मालूम है कि हम स्कूल जाये या ना जाए , परीक्षा में बैठे या ना बैठे पास तो हम हो ही जायेंगे।
ब्रेकिंग- स्कूल नहीं आने वाले बच्चों के घर तक शिक्षक पहुंचाएंगे प्रश्न पत्र।
प्रायमरी की परीक्षा 18 अप्रैल से , नहीं मिले प्रश्न पत्र - प्राथमिक स्तर की एंडलाइन वार्षिक परीक्षा 18 अप्रैल से होना है , वही अभी भी कई स्कूलों को प्रश्न पत्र नहीं मिले है। प्रधान पाठक शनिवार को दिन भर डीईओ और बीईओ ऑफिस का चक्कर काटते रहे। हालाँकि ज्यादातर स्कूलों को प्रश्न पत्र मिल गए है। बिल्हा ब्लाक के अंतर्गत बेलतरा संकुल के स्कूलों को देर शाम तक प्रश्न पत्र नहीं मिल पाया था। हालाँकि अधिकारियों ने परीक्षा शुरू होने से पहले ही प्रश्न पत्र उपलब्ध करा देने का आश्वाशन दिए है।
ब्रेकिंग - प्राथमिक एवं मिडिल स्कूल ग्रेड निर्धारण चार्ट जारी।
बच्चों का स्कूल आना अनिवार्य नहीं , शिक्षकों को सभी बच्चों का परीक्षा लेने निर्देश - स्कूल शिक्षा विभाग को अधिकारी लोग मजाक बना के रख दिए है। एक तरफ बच्चों का स्कूल आना स्वैच्छिक कर दूसरी तरफ सभी बच्चों को परीक्षा में बैठाने दबाव बनाया जा रहा है। परीक्षा के पहले ही दिन प्रधान पाठक और स्कूल की सफाई कर्मचारी बच्चों को परीक्षा में बैठाने घर - घर जाकर बुलाते रहे। काफी मशक्कत के बाद अनुपस्थित छात्र परीक्षा दिलाने स्कूल पहुंचे। प्रदेश के स्कूलों में पिछले कई वर्षों से लगातार प्रयोग किया जा रहा है। एक स्कीम ठीक से लागु भी नहीं हो पाती दूसरी स्कीम आ जाती है।
देखें डीपीआई द्वारा जारी आदेश -
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