स्कूल नहीं आने वाले बच्चों के घर तक प्रश्न पत्र पहुंचाएंगे शिक्षक ,, बच्चों का परीक्षा में बैठना और स्कूल आना अनिवार्य नहीं Teachers Will Deliver Question Papers To The Homes Of Children Who Do Not Come To School , It Is Not Mandatory For The Rest To Come To School

15 अप्रैल से बच्चों का स्कूल आना अनिवार्य नहीं ,, परीक्षा दिलाने स्कूल नहीं आने वाले बच्चों के घर तक पालक के माध्यम से प्रश्न पत्र पहुंचाएंगे शिक्षक Teachers Will Deliver Question Papers To The Homes Of Children Who Do Not Come To School , It Is Not Mandatory For The Rest To Come To School 

a2zkhabri.com कोरबा - प्रदेश में इन दिनों स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत जारी हो रहे अजीबो गरीब आदेश से शिक्षक खासे परेशान हो रहे है। परीक्षा से ठीक पहले स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 15 अप्रैल से बच्चों का स्कूल आना स्वैच्छिक कर दिया गया है। अर्थात राज्य में प्राथमिक और मिडिल स्तर की परीक्षा 16 अप्रैल से शुरू हो रही है और उक्त परीक्षा में बच्चे बैठे या न बैठे लेकिन उनका पास होना तय है। वही अब कोरबा जिला शिक्षा अधिकारी के अनुसार परीक्षा दिलाने हेतु स्कूल नहीं आने वाले बच्चों के घर पर अब शिक्षक पालक के माध्यम से प्रश्न पत्र उपलब्ध कराएँगे। 

कक्षा 1 ली से 8 वीं तक के बच्चों का 15 अप्रैल से स्कूल आना अनिवार्य नहीं है। लेकिन एंडलाइन आकलन निर्धारित समय से ही पुरे राज्य में आयोजित होगी। जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा जीपी भारद्वाज सर से मिडिया को बताया कि जो बच्चे स्कूल परीक्षा दिलाने नहीं आ पाएंगे उनके घर तक शिक्षक पालक के माध्यम से प्रश्न पत्र पहुंचाएंगे। जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि राज्य शासन से जारी निर्देशानुसार 15 अप्रैल से बच्चों का स्कूल आना अनिवार्य नहीं है , लेकिन शिक्षकों की शतप्रतिशत उपस्थिति शाला में नियमित बनी रहेगी। 

30 अप्रैल तक जारी होंगे परीक्षा परिणाम - स्कूल में निर्धारित समय सारिणी अनुसार मूल्यांकन के कार्य होंगे। मूल्यांकन पश्चात बच्चों को 30 अप्रैल तक प्रगति पत्रक भी बांटने होंगे ,वही एंडलाइन आकलन के बाद छात्रों के प्राप्तांकों को ऑनलाइन दर्ज करेंगे। शिक्षक ध्यान में रखेंगे की जो छात्र स्कूल आ रहे है उनका आकलन स्कूल में और नहीं आ रहे है उनका आकलन हेतु प्रश्न पत्र घर तक पहुंचाएंगे। स्कूल आने वाले और नहीं आने वाले सभी बच्चों का एंडलाइन आकलन किया जाना है। लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी आदेशानुसार किसी भी बच्चे को पिछले कक्षा में रोका नहीं जाना है। 

शिक्षक सहित अधिकारी भी हैरान कई आदेशों से - लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा 06 अप्रैल को जारी हुआ आदेश काफी चर्चा में आया है। उक्त आदेश में 15 अप्रैल से बच्चों का स्कूल आना अनिवार्य नहीं है , जबकि 16 अप्रैल से एंड्लाइन / वार्षिक परीक्षा शुरू हो रही है। उक्त आदेश के जारी होते ही सोशल मिडिया में तरह - तरह के बयान देखने को मिल रहे है , ज्यादातर लोगो ने उक्त आदेश पर विरोध जताया है। जब बच्चा स्कूल ही नहीं आएगा तो सीखेगा कैसे ,, ऐसे में शिक्षा गुणवत्ता की बात करनी भी बेईमानी है। देखा जाए तो पिछले 20 वर्षों से स्कूलों को प्रयोगशाला बनाकर रख दिया गया है। 

शिक्षा विभाग के बड़े अफसरों के बयानों में विरोधाभास - प्रदेश के प्रमुख स्कूल शिक्षा सचिव डॉ. अलोक शुक्ला ने कहा कि - जो बच्चों को आकलन में शामिल करना चाहते है , वह अपने बच्चों को स्कूल भेज सकते है।  यह तो अभिभावक पर निर्भर करता है। हमने ऐच्छिक उपस्थिति का निर्देश दे दिया है। वही इस सम्बन्ध में संचालक डीपीआई सुनील जैन कि - पढ़ाई के लिए बच्चे भले ही स्कूल नहीं आए पर मूल्यांकन के लिए तो भेजना ही पड़ेगा। इसके लिए पहले से ही तिथि तय कर दी गई है। इसके लिए कोई भ्रम नहीं है। उक्त सम्बन्ध में दो बड़े अधिकारीयों के अलग - अलग बयान समझ से परे है। 

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