छात्र की मौत ,, पूरा स्टाफ निलंबित , भेदभाव ने ले ली छात्र की जान Students Death , All Staff Suspended

दलित छात्र को स्कूल हैंडपंप से नहीं पिने देते थे पानी, कुएं में गिरने से मौत Students Death , All Staff Suspended 

a2zkhabri.com न्यूज़ - जातपात के भेदभाव ने एक मासूम की बलि ले ली। घटना दमोह जिले के तेंदूखेड़ा के खमरिया कला गांव की है। यहाँ प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले कक्षा तीसरी के छात्र को स्कूल के हेण्डपम्प से पानी पीने रोका गया तो वो स्कूल के पास ही बने एक कुंए पर जा पहुंचा लेकिन बॉटल में रस्सी बांधकर पानी निकालते समय कुंए में गिरने से उसकी मौत हो गई। सुचना पर पहुंचे जनपद सीईओ मनीष बागरी ने पुरे स्कूल स्टाफ को निलंबित कर दिया।

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मध्यान्ह भोजन के बाद पानी लेने गया था छात्र - अन्य छात्रों की तरह वीरन पिता बेडिलाल अहिरवार दोपहर मध्यान्ह भोजन के बाद पानी पीने स्कूल के हेण्डपम्प पर पानी पीने गया लेकिन उसे हमेशा की तरह दुत्कार मिला। इस पर मासूम अपने पानी बॉटल लेकर पास के कुंए में पानी निकालने पहुंचा। बॉटल में रस्सी बांधकर पानी निकल ही रहा था की उसका संतुलन बिगड़ गया और कुंए में जा गिरा। कुंए में गिरने से उसकी मौत हो गई।  

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शिक्षक ही बो रहे भेदभाव का बीज - स्कूल में पढ़ने वाले अन्य बच्चों एवं परिजनों ने बताया की स्कूल में भेदभाव का बीज शिक्षक ही बोते है। उन्हें स्कूल के हेण्डपम्प में शिक्षक ही पानी पीने नहीं देते। प्रतिदिन हमें कुंए से ही पानी पीना पड़ता है। 21 वीं शताब्दी में यदि छुआछूत - भेदभाव  बीज यदि शिक्षक ही बोयेंगे तो समझों उस बच्चों पर क्या बितती होगी। भेदभाव के कारण बच्चे भी स्कूल जाने से मना करते है। बच्चों ने पालकों से कई बार शिकायत भी किये थे। वीरन के बड़े भाई ने बताया की हमें प्रतिदिन मध्यान्ह भोजन के बाद पानी पीने कुंएं में जाना पड़ता है। 

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यह जानकर आश्चर्य हो रहा है कि आज के समय में भी खुले तौर पर शिक्षक बच्चों के साथ ऐसा भेद भाव कर रहा है। ये बड़ी लापरवाही के साथ - साथ घोर अपराध भी है। स्कूल के प्रधान पाठक भोजराज लोधी सहित सभी 06 शिक्षकों को तत्काल निलंबित कर दी गई है। स्कूल के तरफ से प्रधान पाठक का पक्ष जानने उनको कई बार फोन किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। परिजनों तथा बहुत से अभिभावकों ने इन आरोपित शिक्षकों को तत्काल बर्खास्त करने की मांग किए है। 

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शिक्षकों का कृत्य क्षमा योग्य नहीं - जिस प्रकार से इन सभी शिक्षकों ने विज्ञान के इस मंदिर में छुआ - छूत का खेल खेला है वह वाकई माफ़ी के लायक नहीं है। समाज के ऐसे कुंठित मानसिकता वाले शिक्षक को तत्काल बर्खास्त करने की आवश्यकता है। उन्हें किसी भी शर्त में माफ़ी नहीं मिलनी चाहिए। जिस शिक्षक के कंधे पर भारत के भविष्य को आगे ले जाने का बोझ होता है वही छात्रों को ढोंग, छुआछूत , भेदभाव सिखाए तो ऐसे में क्या देश कैसे तरक्की करेगा। ज्ञान विज्ञान  छुआछूत की बीज बोन वाले शिक्षक को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। 

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