पीछे जेब में पर्स रखने के है भारी नुकसान , होती है गंभीर बीमारी Purse Rakhne Se Ridh Ki Haddi Ko Khatra
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बैलेंस बिगड़ने के साथ - साथ पिछले हिस्से के कुछ विशेष नसे दब जाती है। जिस कारण से अनेकों प्रकार की शारीरिक कष्ट प्रारम्भ हो जाती है। पीछे के पॉकेट के बजाय सामने के जेब में पर्स रखना चाहिए।
पीछे के जेब में पर्स रखने से क्या - क्या नुकसान होता है - पीछे के जेब में पर्स रखने के बहुत से नुकसान है ,यहाँ पर हम कुछ महत्वपूर्ण बिमारियों के बारे में चर्चा करते है जो होने के अधिकतर चांस रहते है -
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साइटिका रोग की आशंका - जब आप पर्स को पिछली जेब में रखकर बैठते है, तो इससे कमर पर दबाव पड़ता है। चुकी कमर से ही कूल्हे की सायटिका नस गुजरती है, इस लिए इस दबाव के कारण कूल्हे एवं कमर में दर्द हो सकता है। इससे आपके हिप ज्वाइंट्स में मौजूद पिरिफार्म मसल्स पर भी दबाव पड़ता है। जब आप लम्बे समय तक पर्स रखकर बैठते है तो नसे पर्स एवं हिप्स के बीच दब जाती है।
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ब्लड सर्कुलेशन पर बुरा प्रभाव - हमारे शरीर में नसों है , जो एक अंग को दूसरे अंग से जोड़ती है। कई नसे ऐसे भी होती है जो दिल की धमनियों से होते हुए कमर एवं कूल्हे के रास्ते से पैरों तक पहुंचती है। पीछे के जेब में पर्स रखकर लगातार बैठने से इन नसों पर दबाव पड़ता है जिससे कई बार खून का प्रवाह रुक जाता है। लम्बे समय तक ऐसे स्थिति बने रहने से नसों में सूजन आ जाती है।
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रीढ़ की हड्डी को भी खतरा - बैक पैकेट में पर्स होने की वजह से शरीर का बैलेंस ठीक नहीं बनता और व्यक्ति सीधा नहीं बैठ सकता। इस तरह बैठने से रीढ़ की हड्डी भी झुकती है। इस वजह से स्पाइनल ज्वाइंट्स , मसल्स एवं डिस्क आदि में दर्द होता है। और धीरे - धीरे छतिग्रस्त हो जाते है।
पिरिफॉर्मिंस सिंड्रोम का खतरा - पेंट की पिछली जेब में पर्स रखने से पिरिफोर्मिंग सिंड्रोम नाम की बीमारी का खतरा बना रहता है। इस बीमारी में मरीज को असहनीय दर्द होता है। लगातार बैठे रहने से पर्स से पिरिफिरमींस मसल्स दब जाती है जिससे पैरों में तेज दर्द होने लगता है। इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए सर्जरी भी करवानी पड़ सकती है।
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