हड़ताल के विरुद्ध हड़ताल ,,, यहाँ के छात्रों ने खोला मोर्चा strike against strike,,, students here opened front

प्रदेश के चार लाख से भी अधिक कर्मचारियों सहित शिक्षकों के हड़ताल में जाने से पढ़ाई पूरी तरह से ठप ,, छात्रों ने हड़ताल के विरुद्ध प्रदर्शन करने हेतु अनुविभागीय अधिकारी से मांगी अनुमति Due to the strike of teachers including more than four lakh employees of the state, the studies came to a complete standstill, the students sought permission from the sub-divisional officer to demonstrate against the strike.

a2zkhabri.com धमतरी - धमतरी जिले के भखारा नगर पंचायत में एक अनूठा मामला सामने आया है। जहाँ स्कूली छात्रों ने आंदोलन रत शिक्षकों के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। वहां पढ़ने वाले शिक्षकों ने पढ़ाई के नुकसान का हवाला देकर अनुविभागीय अधिकारी से धरना प्रदर्शन हेतु अनुमति मांगी है। इस तरह से यह फिलहाल प्रदेश का पहला और अनूठा मामला है जहाँ हड़ताल के विरुद्ध हड़ताल करने की अनुमति मांगी जा रही है। ज्ञात हो की पिछले दो तीन साल से प्रदेश में लंबित महंगाई भत्ता का मुद्दा गरमाया हुआ है , और लगातार चरणबद्ध आंदोलन जारी है। 

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प्रदेश के चार लाख शासकीय कर्मचारी हड़ताल पर - लंबित महंगाई भत्ता और एचआरए के मांग को लेकर प्रदेश के शिक्षक सहित अन्य विभाग के 4 लाख कर्मचारी अधिकारी 22 अगस्त से अनिश्चितकालीन आंदोलन पर है। कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के बैनर तले उक्त आंदोलन में शिक्षक के भी कई संगठन शामिल है जिस कारण से प्रदेश  सरकारी दफ्तरों एवं कार्यालयों के साथ - साथ स्कूलों में भी ताला लटका हुआ है  .शिक्षकों के हड़ताल में जाने से बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से ठप पड़ गया है। 

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25 जुलाई से 29 जुलाई तक और हुई थी हड़ताल - लगातार चल रहे हड़ताल से त्रस्त होकर भविष्य की चिंता करते हुए कई छात्र विरोध पर उतारू हो गए है। ऐसा ही मामला धमतरी जिले के भखारा नगर पंचायत के बिसाहू सिंह गौर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्र छात्राओं ने शिक्षक / शिक्षिकाओं के द्वारा हड़ताल पर जाने से खासे नाराज है। पढ़ाई का नुक्सान होते देख अब वे हड़ताल के विरुद्ध हड़ताल करने अनुविभागीय अधिकारी से अनुमति हेतु आवेदन दिए है। उक्त स्कूल के कई छात्रों ने हड़ताल के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन करने को लेकर जिला प्रशासन से अनुमति की मांग लिखित में की है।

देखें ज्ञापन - 

सरकार भी नहीं उठा रही कोई कदम - राज्य के करीब चार लाख कर्मचारी , अधिकारी के हड़ताल में जाने के बाद भी शासन प्रशासन कर्मचारियों के मांगों के सन्दर्भ में कोई कदम नहीं उठा रही। वैकल्पिक व्यस्था पूरी तरह से फेल हो चूका है। जब राज्य के सभी विभाग के 4 लाख कर्मचारी आंदोलन में जायेंगे तो वैकल्पिक व्यवस्था बना लेने की बात कहना एक बड़ा सा मजाक लगता है। उक्त आंदोलन में प्यून से लेकर न्यायिक अधिकारी तक शामिल है। राज्य सरकार को उक्त आंदोलन को समाप्त करवाने हेतु तत्काल पहल करनी चाहिए।  

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लंबित डीए और एचआरए की मांग - प्रदेश के कर्मचारी केंद्र सरकार के बराबर महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के आधार पर गृहभाड़ा गणना की मांग कर रहे है। वही हड़ताल को देखते हुए राज्य सरकार ने लंबित 12 फ़ीसदी डीए म से मात्र 6 फ़ीसदी डीए बढ़ाया है वो भी लाभ वाले डेट के बजाय 01 अगस्त से इस तरह से कर्मचारियों को एरियस से भी हाँथ धोना पद रहा है। कर्मचारी संगठनों के अनुसार पिछले तीन - चार से सही समय में महंगाई भत्ता नहीं मिलने और एरियस का भुगतान नहीं होने से प्रत्येक कर्मचारियों को 60 हजार रु. से 4 लाख रु तक की आर्थिक हानि हो चुकी है। राज्य के कर्मचारी लंबित डीए और एचआरए की मांग कर रहे है जो जायज है। 

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