शिक्षा विभाग - खेलगढ़िया के राशि में गड़बड़ी , मिडिल के बच्चों को आंगनबाड़ी के खिलौने सप्लाई A Long Game In The Name Of Khelgarhia , Anganbadi Toys Given To 8th Children

स्कूल शिक्षा विभाग में बड़ा खेला ,, 7 हजार रूपये के बदले थमा दिए डेढ़ हजार रूपये के खिलौने A Long Game In The Name Of Khelgarhia , Anganbadi Toys Given To 8th Children 

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a2zkhabri.com बिलासपुर - खेलगढ़िया के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आ रही है। प्रदेश के समस्त प्राथमिक एवं मिडिल स्कूलों को बच्चों के खेल सामग्री अर्थात खेलगढ़िया मद के अंतर्गत 5 हजार रूपये और 10 हजार रूपये दिए गए है। जिसमे से स्कूल के प्रधान पाठक को 30 प्रतिशत फंड खर्च करने की छूट है बाकी 70 फीसदी राशि के बराबर राज्य स्तर से खिलौना भेजने की बात कही गई थी। लेकिन मिडिल स्कूलों को खेल सामग्री के नाम पर प्लास्टिक के बेट और बाल भेजे जा रहे है। ये ऐसे खिलौने है जिसको आंगनबाड़ी के और छोटे - छोटे बच्चे खेलते है। स्कूलों को जितना खिलौना सप्लाई किया गया है मुश्किल से वह डेढ़ हजार के होंगे लेकिन इसके लिए 7 हजार की राशि स्वीकृत है। 

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खेलगढ़िया के नाम पर बड़ा खेला - स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शासकीय प्रायमरी एवं मिडिल स्कूलों को विभिन्न मदों से राशि जारी की जाती है। इनमें क्रीड़ा अनुदान के नाम पर खेलगढ़िया के नाम से अनुदान जारी किया जाता है। पूर्व में स्कूलों को बच्चे के हिसाब से खिलौना खरीदने की छूट दी गई थी , लेकिन अब नए नियम के तहत स्कूलों को मात्र 30 फ़ीसदी राशि भेजी जा रही है वही 70 फ़ीसदी राशि से राज्य स्तर पर खिलौने  भेजे जा रहे है। मिडिल स्कूलों को 7 हजार रूपये में महज डेढ़ हजार के ही खिलौने मिल रहे है। जिससे आप अंदाजा लगा सकते है कि खेलगढ़िया के नाम पर लंबा खेला हो रहा है।

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8 वीं तक के बच्चों को मिल रहे आंगनबाड़ी के बच्चों के खिलौने - सभी स्कूलों को एक कार्टून में खेल सामग्री पैक कर सप्लाई की जा रही है। खिलौने  को ओपन करने पर प्लास्टिक के बैट , बाल , स्टंप्स , छोटे साइज का कैरम बोर्ड , छोटा फूटबाल , उड़न तस्तरी और शतरंज निकल रहे है। और ये खेल सामग्री आंगनबाड़ी बच्चों के खेलने के  लायक है। हैरान करने वाली बात यह है कि इसे 8 वीं तक के बच्चों के लिए सप्लाई की गई है। 

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बमुश्किल डेढ़ हजार रूपये की सामान - खेलगढ़िया के नाम पर स्कूलों को दी जा रही खेल सामग्री का बाजार में मूल्य बमुश्किल डेढ़ रूपये है। इसी सामान को 7 हजार रूपये की बताकर स्कूलों को भेजा जा रहा है। खेलगढ़िया के फंड का वर्षों से दुरूपयोग होता आ रहा है। यही वजह है कि सरकारी स्कूल के बच्चे किसी भी खेल में आगे नहीं बढ़ पा रहे है। 

अफसरों को पता नहीं - जिले के सभी प्रायमरी और मिडिल स्कूलों को अज्ञात व्यक्ति द्वारा खेल सामग्री के नाम पर प्लास्टिक के सामन बॉक्स में भरकर भेजा जा रहा है। हैरत कि बात है कि जिला और ब्लाक के शिक्षा अधिकारी को इसकी जानकारी तक नहीं है। जबकि स्कूलों के प्रधान पाठकों से खेल सामग्री मिलने की पावती लिया जा रहा है , इंकार करने पर अधिकारी स्वयं पावती देने कह रहे है। 

जिला स्तर से नहीं हुई खरीदी - डीके कौशिक जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर ने बताया कि खेलगढ़िया के फंड से जिला स्तर पर किसी भी तरह की खेल सामग्री नहीं खरीदी गई। स्कूलों को मिलाने वाली खेल सामग्री के बारे में जानकारी नहीं है। हो सकता है , उसकी आपूर्ति राज्य द्वारा खेलगढ़िया के 70 प्रतिशत फंड से किया जा रहा हो। 

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