कर्मचारियों को सबसे बड़ी सौगात ,, पुरानी पेंशन की मांग हुई पूरी Old Pension Gipt To 1.25 Lakh Employees
a2zkhabri.com रांची - पश्चिम बंगाल , महाराष्ट्र , राजस्थान के बाद अपने कर्मचारी को पुरानी पेंशन देने वाला चौथा राज्य बन गया है झारखण्ड। झारखण्ड का माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने राज्य के 2004 से नियुक्त सरकारी अधिकारी , कर्मचारी को पुरानी पेंशन देने का ऐलान कर दिया है। राज्य में फ़िलहाल 2 लाख के करीब शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारी है जिनमे से 1.25 लाख कर्मचारी एनपीएस के अंतर्गत आते है। अब इन सभी कर्मचारी , अधिकारी को भी पुरानी पेंशन देने का ऐलान हो चूका है।
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झारखण्ड के मुख्यमंत्री ने ट्वीट करके दी जानकारी - झारखण्ड के मुख्यमंत्री माननीय हेमंत सोरेन ने ट्वीट करके जानकारी दी कि हमने अपने चुनावी घोषणा पत्र में 2004 से नियुक्त सभी शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारी को पुरानी पेंशन देने का वादा किया था , हम अपने वादे पर कायम रहते हुए हम राज्य के सभी शासकीय अधिकारीयों एवं कर्मचारियों को इस बजट सत्र से पुरानी पेंशन देने का ऐलान करता हु। मुख्यमंत्री के ऐलान करते ही वहां के सभी कर्मचारियों में भारी हर्ष है , वही इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री की अधिकारीयों के साथ एक बैठक भी हो गई है।
ब्रेकिंग - छत्तीसगढ़ में भी जगी पुरानी पेंशन की उम्मीद , मुख्यमंत्री की बड़ी बैठक।
छत्तीसगढ़ में भी पुरानी पेंशन बहाली की मांग जोरो पर - राजस्थान और झारखण्ड में पुरानी पेंशन बहाली की मांग पूरा होते ही छत्तीसगढ़ में भी यह मांग तेज हो गई है। कई कर्मचारी नेता अपने - अपने संगठन के साथ - साथ अब सामूहिक रूप से मुद्दे पर सरकार मांग रख रहे है। वही पर मुख्यमंत्री ने बयान जारी करते हुए कहा कि हम किसी की भी मांगों को अनसुना नहीं करते , वित्तीय स्थिति के आधार पर पुरानी पेंशन का निर्णय लिया जाएगा। वही इस सम्बन्ध में माननीय मंत्री टीएस सिंह देव बयान जारी कर अपना विचार दिया था ,हालाँकि यदि सरकार चाहे तो इसकी तत्काल घोषणा कर सकती है , क्योंकि अभी इस मांग को पूरा करने में कोई तात्कालिक आर्थिक बोझ नहीं आएगा।
जानिए,... किस पर पड़ेगा असर -
1. अधिकारियों - कर्मचारियों पर - अंशदायी पेंशन योजना में - अभी अधिकारीयों कर्मचारियों को 10 प्रतिशत अंशदान देना होता है। इसकी बचत होगी। भविष्य में राजकोष से पेंशन मिलेगी। इससे नियमित पेंशन मिलने की गारंटी रहेगी।
2. सरकार पर - सरकार पर तत्काल वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा।अमूमन 30 साल नौकरी होने पर सेवानिवृत्ति के वक्त 2035 से पेंशन पर सरकार का खर्च बढ़ेगा। अभी अंशदायी के तहत सरकार हर साल 1000 करोड़ खर्च करती है।
3.राजनीति पर - पुरानी पेंशन योजना लागू करने से सरकार में शामिल राजनितिक दलों को चुनावी लाभ मिलेगा। इस योजना से करीब 1.25 परिवार लाभान्वित होंगे। इससे मजबूत वोट बैंक बनेगा। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन बहाली का वादा भी किए थे। वही मुख्यमंत्री अपने वादा को पूरा करते हुए पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा बजट में करेंगे।
पुरानी पेंशन (ओपीएस ) और नई पेंशन (एनपीएस) में अंतर को ऐसे समझे - पुरानी पेंशन और नई पेंशन स्कीम आप आसानी से ऐसे समझ सकते है -
1. पुरानी पेंशन OPS में कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती नहीं होती जबकि एनपीएस पेंशन फीसदी वेतन से कटौती होती है।
2. पुरानी पेंशन में जीपीएफ (जनरल प्रोविडेंट फंड ) की सुविधा है वही नई पेंशन में इसकी सुविधा नहीं है।
3. पुरानी पेंशन एक सुरक्षित पेंशन है जिसकी भुगतान ट्रेजरी ऑफिस से होती है। नई पेंशन में शेयर मार्किट आधारित पेंशन है। इसकी कोई गारंटी नहीं है।
4. पुरानी पेंशन में अंतिम बेसिक सैलरी के लगभग 50 फीसदी पेंशन मिलती है।, वही नई पेंशन में कोई गारंटी नहीं है।
5. पुरानी पेंशन में हर छः माह में महंगाई भत्ता मिलती है वही नई पेंशन में ऐसी कोई सुविधा नहीं है।
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6. पुरानी पेंशन में रिटायरमेंट के बाद 20 लाख तक ग्रेजुएटी मिलती है , वही नई पेंशन में इसका अस्थायी प्रावधान है।
7. पुरानी पेंशन में मृत्यु होने पर फैमिली को पेंशन का प्रावधान है , जबकि नई पेंशन में सर्विस के दौरान मौत होने पर फॅमिली पेंशन है और जमा राशि को सरकार जब्त कर लेती है।
8. पुरानी पेंशन के जीपीएफ राशि पर कोई टेक्स नहीं लगता जबकि एनपीएस की राशि पर मार्केट के आधार पर टैक्स लगती है।
9. पुरानी पेंशन में जीपीएफ की राशि निवेश करने की आवश्यकता नहीं है वही एनपीएस में 40 फीसदी राशि को निवेश करना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त पुरानी पेंशन के कई लाभ है , वही नई पेंशन में कोई खास लाभ ही नहीं है।
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