डिप्टी कलेक्टर को फिर बनाया गया जिला शिक्षा अधिकारी , पिछले बार शिक्षक नेताओं ने जताया था विरोध Deputy Collector In Charge Of District Education Officers
a2zkhabri.com बलरामपुर - रामानुजगंज - बालोद जिले के बाद बलरामपुर में भी डिप्टी कलेक्टर को जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार दिया गया है। पिछले बार की तरह इस बार भी शिक्षा विभाग के अधिकारीयों का उपेक्षा करके अन्य विभाग के अधिकारीयों को शिक्षा विभाग के अधिकारी बनाया गया है। पिछली बार बालोद जिले में भी डिप्टी कलेक्टर के डीईओ बनाये जाने पर शिक्षक नेताओं ने विरोध जताया था।
कलेक्टर द्वारा जारी आदेश देखे -
पूर्व में जारी खबर नीचे देखें -
डिप्टी कलेक्टर को जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार , कई शिक्षक नेताओं ने बताया गलत परंपरा की शुरुआत Deputy Collector In Charge Of District Education Officers
a2zkhabri.com बालोद - कार्यालय कलेक्टर जिला बालोद द्वारा जारी आदेशानुसार श्रीमती रश्मि वर्मा डिप्टी कलेक्टर को जिला शिक्षा अधिकारी बालोद का प्रभार दिया गया है। डिप्टी कलेक्टर को जिला शिक्षा अधिकारी बनाए जाने पर कई शिक्षक नेताओं ने इसे गलत परंपरा की शुरुआत करते हुए विरोध जताया है। शिक्षक नेताओं का कहना है कि शिक्षा विभाग सबसे बड़ा विभाग है , और शिक्षा विभाग में अधिकारियों की कमी नहीं है। उनका कहना है की जिला शिक्षा अधिकारी के प्रभार को प्राचार्य , विकास खंड शिक्षा अधिकारी या सहायक संचालक को दिया जाना था। डिप्टी कलेक्टर को जिला शिक्षा अधिकारी बनाने की संज्ञान उच्च कार्यालय तक पहुंचा दी गई है।
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कलेक्टर द्वारा जारी आदेश देखें -
कार्यालय कलेक्टर जिला बालोद छत्तीसगढ़ कार्यालयीन आदेश क्रमांक 4954 / वि.लि.01 / स्था /2021 दिनांक 13.08 .2021 द्वारा श्री बसंत बाघ , विकास खंड शिक्षा अधिकारी बालोद को उनके वर्तमान दायित्यों के साथ - साथ जिला शिक्षा अधिकारी बालोद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
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उक्त आदेश को निरस्त करते हुए श्रीमती रश्मि वर्मा डिप्टी कलेक्टर बालोद को जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार आगामी आदेश पर्यन्त तक सौंपा जाता है।
देखें आदेश -
गलत परंपरा की शुरुआत - विवेक दुबे सर्व शिक्षक संघ अध्यक्ष - शिक्षक नेता विवेक दुबे ने डिप्टी कलेक्टर को जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार देने के मांमले को गलत परंपरा शुरुआत बताया है। उन्होंने कहा कि क्लास 2 के पोस्ट होने के नाते नियमानुसार दिया जा सकता है , पर क्या यह गलत परंपरा की शुरुआत नहीं है ,,,? क्योकि प्रदेश में शिक्षा विभाग सबसे बड़ा विभाग है। जहा कर्मचारियों अधिकारियों की संख्या भी पर्याप्त है।
शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को वास्तविक हक नहीं मिल पा रहा है , और कर्मचारी रिटायर भी हो रहे है। ऐसे स्थिति में डिप्टी कलेक्टर को जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार देना नियमानुसार सही हो सकता है , पर व्यावहारिक रूप से गलत है। इस तरह से अन्य विभाग के कर्मचारियों को शिक्षा विभाग में पदस्थ करेंगे तो शिक्षा विभाग के कर्मचारी कहा जायेंगे। क्या शिक्षा विभाग के अधिकारीयों को भी अन्य विभागों में सेम कैडर के अधिकारी बनाएंगे।
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