अनुकम्पा नियुक्ति हेतु मांगी रिश्वत - जिला शिक्षा अधिकारी एवं लेखापाल सस्पेंड Anukampa Niyukti Rishvat Mamla , DEO Accountant Suspended

अनुकम्पा नियुक्ति हेतु रिश्वत मांगना जिला शिक्षा अधिकारी को पड़ा महंगा , डीईओ ,लेखापाल एवं शिक्षक सस्पेंड Anukampa Niyukti Rishvat Mamla , DEO Accountant Suspended 

a2zkhabri.com बालोद - जिला शिक्षा अधिकारी बालोद और उनके लेखापाल एवं अन्य सहयोगी शिक्षक को अनुकम्पा नियुक्ति के मामले में 35000 रु. रिश्वत लेने के कारण आज सस्पेंड कर दिया गया है। ज्ञात हो कि श्रीमती तरुणा बेलचंदन की सहायक ग्रेड 03 पर अनुकम्पा नियुक्ति होनी थी। अनुकम्पा नियुक्ति के एवज में जिला शिक्षा अधिकारी बालोद श्री आर. एल. ठाकुर , लेखापाल महेंद्र कुमार चंद्राकर एवं पूर्व माध्यमिक शाला भरदा (लो) शिक्षक जीतेन्द्र देशमुख को 35000 रु. रिश्वत लेने के प्रकरण में सही पाए जाने पर तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। 

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स्कूल शिक्षा विभाग में थम नहीं रहा रिश्वत का मामला - पिछले दिनों बोकरा पार्टी नहीं देने के कारण एक शिक्षिका का वेतन पिछले 8 माह से नहीं बनाया गया था। उक्त मामले में सहायक ग्रेड को सस्पेंड करने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था की बालोद जिले के जिला शिक्षा अधिकारी और उनके लेखापाल एवं सहयोगी शिक्षक को अनुकम्पा नियुक्ति हेतु 35000 रु. रिश्वत लेने के कारण सस्पेंड कर दिया गया है। प्रदेश में इस तरह के कई मामले लगातार सामने आ रहे है भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारी और कर्मचारी इस प्रकार के हरकत करने से बाज नहीं आ रहे। 

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी सस्पेंड आदेश देखें - 

छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेशानुसार श्री आर ेल ठाकुर जिला शिक्षा अधिकारी बालोद श्री महेंद्र कुमार चंद्राकर लेखापाल कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी बालोद एवं श्री जीतेन्द्र देशमुख शिक्षक पूर्व माध्यमिक शाला भरदा (लो ) विकास खंड डौंडी लोहारा जिला बालोद को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील नियम - 1966 के नियम - 9 (1 ) (क ) के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित करता है। उक्त लोक सेवकों  छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1955 के नियम 3 के विपरीत गंभीर कदाचार है। 

आदेश डाउनलोड करें - 


अनुकम्पा नियुक्ति हेतु मंगाते है मोटी रकम - प्रायः समाचार पत्रों एवं न्यूज़ पोर्टलों के माध्यम से यह खबर आती रहती है की अनुकम्पा नियुक्ति के मामले में सक्षम अधिकारी अनुकम्पा नियुक्ति हेतु मोटी रकम ऐंठते है। ऐसे जिम्मेदार और भ्रष्ट अधिकारी इतनी नीच हरकत करते है कि बगैर रिश्वत के फाइल को कई महीनों से घुमाते रहते है। पीड़ित अभ्यर्थी मज़बूरी , लाचारी में मोटी रकम देने पर बाध्य होते है। प्रायः यह भी सुना जाता है कि कर्मचारी के मृत्यु उपरांत नियमानुसार मिलने वाले राशि को देने के लिए भी मोटी रिश्वत लेते है। 

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कठोर कार्यवाही और जागरूक होने की जरुरत - रिश्वत मामले में फसें कर्मचारी एवं अधिकारीयों पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए ,आरोपी की नौकरी छीनने के साथ - साथ उन्हें लम्बे समय के लिए जेल में डाल देने चाहिए। रिश्वत के समय - समय पर कई मामले सामने आते है लेकिन वे मात्र कुछ प्रतिशत ही होती है। डर या जागरूकता के आभाव अथवा मज़बूरी , लाचारी में मोटी रकम देकर पीड़ितों को अपना काम करवाना पड़ता है। इस प्रकार के मामले पर सरकार को कड़ा एवं सख्त निर्णय लेने चाहिए। 

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