प्रदेश के पहिली और दूसरी के बच्चे स्थानीय बोली में करेंगे पढ़ाई First And Second Class Children Will Study In Local Language
अन्य विभागीय खबर -
GP एप में बच्चों का बेसलाइन, मिडलाइन एवं एन्ड लाइन असेसमेंट ऐसे करें।
पटवारी के 250 पदों में होगी बम्पर भर्ती , देखें विवरण।
कोरोना की संख्या बढ़ने पर तत्काल स्कूल होंगे बंद - शिक्षामंत्री
सरगुजा संभाग में सरगुजिहा के अलावा कुड़ुख, सादरी व बघेली बोली को स्कूली शिक्षा में मान्यता दी गई है। मध्य छत्तीसगढ़ यानी बिलासपुर और रायपुर संभाग में छत्तीसगढ़ी और बस्तर संभाग के लिए हल्बी और गोंडी समेत अन्य स्थानीय बोली का द्विभाषीय पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। एक पेज पर स्थानीय बोली और दूसरे अर्थात सामने पेज पर हिंदी में पाठ्य सामग्री प्रकाशित की गई है।
छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्रों में बंगलाभाषी भी निवासरत है। उन बच्चों के लिए बांग्ला - भाषा की प्रारंभिक पढ़ाई कराई जाएगी। इसके अलावा मराठी,ओडिशी और तेलुगु भाषा में द्विभाषीय किताब जारी की जा रही है /स्थानीय बोली के जानकार शिक्षक - शिक्षिकाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ राज्य शैक्षिक व अनुसन्धान परिषद् द्वारा पाठ्क्रम तैयार करवाया गया है।
स्थानीय बोली की किताबे संकुल केंद्र के माध्यम से स्कूलों तक पहुंचाया जा रहा है। नए सत्र से कक्षा पहली एवं दूसरी के बच्चे इसी किताब को पढ़ेंगे। फिर अगले वर्ष कक्षा तीसरी से 5 वीं तक के बच्चों हेतु भी स्थानीय बोली में पाठ्यपुस्तक उपलब्ध कराया जायेगा। स्थानीय बोली के माध्यम से बच्चे आसानी से और रूचि के साथ सामग्री को समझेंगे।
शिक्षा मंत्री डॉ.प्रेमसाय सिंह टेकाम - विद्यार्थियों में समझ का भाव विकसित करने के लिए प्राथमिक कक्षाओं में स्थानीय बोली में पाठ्य सामग्री तैयार करवाया गया है। किताबे छपकर वितरण के लिए भेजे जा चुके है। नया पाठ्यक्रम बच्चों लिए रुचिकर होगा।
क से कटहर , आ से आमा पढ़ेंगे बच्चे - पहली और दूसरी के पाठ्यक्रम में स्वर और व्यंजन के अलावा छोटी - छोटी कवितायेँ और कहानियां गया है। अभी तक बच्चे क से कबूतर और आ से आम पढ़ते आ रहे थे। लेकिन सरगुजा संभाग हेतु जारी नवीन पाठ्यक्रम में क से कटहर एवं आ से आमा की पढ़ाई होगी।
0 Comments