एनपीएस में जमा पैसा सिर्फ कर्मचारियों का ,, राज्यों को नहीं मिलेगा वापस The money deposited in NPS is only for the employees, the states will not get it back.

पुरानी पेंशन योजना लागू करने पर छिड़ी बहस , केंद्र ने एकबार फिर राज्य सरकार को पैसा लौटाने से किया साफ़ इंकार , मुख्यमंत्री ने कहा सुप्रीम कोर्ट जायेंगे Debate on implementation of old pension scheme, Center once again refused to return money, Chief Minister said that Supreme Court will go to the court

a2zkhabri.com न्यूज़ - पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस को लागू करने को लेकर ) छिड़ी बहस के बीच केंद्र सरकार  को एक बार फिर स्पष्ट कहा कि नई पेंशन योजना एनपीएस के तहत जमा राशि राज्यों को मौजदा नियम के तहत वापस नहीं की जाएगी। यह स्पष्टीकरण ऐसे वक्त में आया जब राजस्थान के मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा था कि यदि  केंद्र सरकार एनपीएस में जमा पैसे को वापस नहीं किया तो हम सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। 

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बजट 2023 - 24 के बाद  चर्चा के दौरान इसके जवाब में सीतारमण ने कहा किसी एक राज्य को लगता है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ ) के पास जमा पैसा राज्यों को दे दिया जाए और अगर ऐसी अपेक्षा है,, तो नहीं। उस पैसे पर सिर्फ कर्मचारियों का हक़ है उस पर ब्याज मिल रहा है। और राज्यों को यह स्पष्टता होनी चाहिए कि यह पैसा सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को मिलती है। 

ओपीएस 5 राज्यों में लागू - देश में अब तक 5 राज्यों ने एनपीएस के स्थान पर ओपीएस लागू कर दी है - 

   राजस्थान 

   छत्तीसगढ़ 

   पंजाब 

   झारखण्ड 

   हिमाचल प्रदेश 

ओपीएस से लाभ या नहीं,,? - वित्त सचिव ने कहा , राज्य सरकारें सिर्फ अपनी देनदारियां से भाग रही है। यह बहुत अच्छी रवायत नहीं है कि कुछ राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को अपनाया है और अन्य राज्य भी इसकी मांग कर रहे है। कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना से फायदा है या नहीं यह भी देखने वाली बात है। जहाँ तक राज्य सरकारों द्वारा अपनी हिस्सा मांगने की बात है तो कानून बड़ा स्पष्ट है है कि राज्यों को वह पैसा नहीं मिल सकता। 

पैसे पर सिर्फ कर्मचारियों का हक़ - जोशी ने कहा , नई पेंशन योजना में जमा पैसा कर्मचारियों से जुड़ा है। यह कर्मचारी और एनपीएस ट्रस्ट के बीच समझौता है। अगर कर्मचारी परिपक्वता अवधि या सेवा निवृत्ति की आयु तक पहुँचने से पहले छोड़ता है तो उसके अलग नियम है। इसके मुताबिक़ कुल जमा का 80 फ़ीसदी हिस्सा एन्युटी के रूप में मिलता है। 

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मध्य प्रदेश में अब सरकारी कर्मचारियों का रिटायरमेंट 63 साल होगा , सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रस्ताव बनाकर मुख्यमंत्री को फाइल भेजा Now employees will retire in 63 years, GAD sent proposal to state government

a2zkhabri.com न्यूज़ -  मध्य प्रदेश में आखिरकार सरकारी कर्मचारियों का रिटायरमेंट 62 की जगह 63 वर्ष में किए जाने का फैसला होने जा रहा है। सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रस्ताव बनाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को फाइल भेज दी है। पांच साल में दूसरी बार रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाई जा रही है।

मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की भर्ती जिस तेजी से होना चाहिए उससे ज्यादा रिटायर होने वाले कर्मचारियों की संख्या है। मौजूदा परिस्थितियों में सरकारी दफ्तरों में काम को अच्छे से करने के लिए अब सरकार जल्द ही रिटायरमेंट की उम्र 62 से बढ़ाकर 63 साल करने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक इसका प्रस्ताव सामान्य प्रशासन विभाग ने तैयार करके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यालय तक पहुंचा दिया है। अब किसी भी कैबिनेट में यह प्रस्ताव पेश करके उस पर चर्चा हो सकती है।

पिछले चुनाव के पहले भी बढ़ी थी रिटायरमेंट की उम्र - यहां उल्लेखनीय है कि इसके पहले 2018 में भी सरकार ने रिटायरमेंट की उम्र 60 साल से बढ़ाकर 62 साल की थी। विधानसभा चुनाव के पहले सरकार ने यह फैसला किया था। उसके पहले 1998 में भी दिग्विजय सिंह सरकार ने 58 साल की रिटायरमेंट उम्र को 60 साल किया था।

हालांकि इस बार राज्य कर्मचारी कल्याण समिति ने सरकार को प्रस्ताव भेजा था कि रिटायरमेंट की उम्र को 65 साल किया जाए लेकिन इस प्रस्ताव को आंशिक रूप से मान्य किया गया। सूत्र बताते हैं कि जीएडी ने 63 साल की रिटायरमेंट का प्रस्ताव बनाकर आगे बढ़ा दिया है।

तीन साल में ढाई लाख कर्मचारी होंगे रिटायर - आगामी तीन वर्ष में ढाई लाख कर्मचारी रिटायर होंगे। एक समय जब सरकारी अधिकारी - कर्मचारी की संख्या साढ़े सात लाख हुआ करती थी, आज यह संख्या करीब सवा चार लाख के आसपास बची है। 

एक मोटे अनुमान के मुताबिक अगले तीन साल में रिटायर होने वाले कर्मचारियों की संख्या करीब ढाई लाख होगी और ऐसे में दफ्तरों में करीब दो लाख से भी कम अधिकारी - कर्मचारी बचेंगे। तीन साल में रिटायर होने वाले कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति के दौरान दी जाने वाली राशि के रूप में लगभग 70 हजार करोड़ रुपए की जरूरत भी होगी।

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