हाईकोर्ट का बड़ा निर्णय - नियमितीकरण के पूर्व प्रथम नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता गणना के दिए निर्देश , अब प्रथम नियुक्ति तिथि से मिलेगी पेंशन सहित अन्य लाभ Big decision of High Court - Instructions given for calculation of seniority from first appointment date before regularization, now pension and other benefits will be available from first appointment date

हाईकोर्ट ने कर्मचारी के पक्ष में दिया बड़ा निर्णय ,, नियमित होने के पूर्व प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना कर पेंशन सहित अन्य लाभ देने का दिया आदेश High court gave a big decision in favor of the employee, ordered to give pension and other benefits after counting the service from the date of first appointment before becoming regular.

a2zkhabri.com न्यूज़ - पेंशन भुगतान सहित अन्य लाभों के सन्दर्भ में हाई कोर्ट इलाहाबाद ने कर्मचारी के पक्ष में बड़ा निर्णय दिया है। हाईकोर्ट ने कर्मचारी के नियमित होने से पहले के पद से प्रथम नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता की गणना करते हुए पेंशन सहित अन्य लाभ देने का आदेश जारी किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कर्मचारी की सेवा शुरू होने के साथ ही उसकी सेवा अवधि की गणना की जाएगी , भले ही उसकी ज्वाइनिंग दैनिक वेतनभोगी के रूप में हुई हो। इस आधार पर कर्मचारी पेंशन सहित अन्य लाभों के हकदार होंगे।  यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने नगर निगम कर्मचारी कमालुद्दीन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। 

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क्या है पूरा मामला - कोर्ट ने नगर निगम प्रयागराज को आदेश दिया है कि कर्मचारी के पेंशन सम्बन्धी सभी देयों का  भुगतान आदेश की कॉपी प्राप्त होने के तीन माह के भीतर करना होगा। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सैय्यद मोहम्मद अब्बास आब्दी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता 14 जून 1989 से ही नगर निगम का कर्मचारी है। उसे 22 सितम्बर 2008 को नियमित किया गया , और वह 2018 में सेवानिवृत हो गया। रिटायर होने के बाद वह पेंशन सहित अन्य देयों का हकदार है।  सम्बन्ध में याचिकाकर्ता ने नगर निगम के समक्ष 22 फरवरी 2021 को पत्र देकर पेंशन सहित अन्य देयों के भुगतान की मांग किया , लेकिन नगर निगम आयुक्त ने आवेदन पत्र को निरस्त कर दिया। 

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याचिकाकर्ता के वकील ने यह तर्क दिया , जिससे कर्मचारी के पक्ष में आया निर्णय - याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सैय्यद मोहम्मद अब्बास आब्दी ने इसी तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिए गए प्रेम सिंह बनाम स्टेट आफ यूपी , कौशल किशोर चौबे बनाम स्टेट आफ यूपी के केश का तर्क दिया। जबकि प्रतिवादी के अधिवक्ता ने इसका विरोध किया। प्रतिवादी के अधिवक्ता ने कहा कि कर्मचारी 2008 में नियमित किया गया है।  इस लिए वह पेंशन योजना 2005 हेतु पात्र नहीं है। लेकिन न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने अधिवक्ता के दलील को दरकिनार करते हुए याचिकाकर्ता के याचिका को स्वीकार करते हुए नगर निगम आयुक्त ने तीन माह के भीतर पेंशन सहित अन्य लाभों को देने का आदेश दे दिया।

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छत्तीसगढ़ में भी आया है पेंशन से वंचित होने का ताजा मामला - उक्त मामला से सम्बंधित ही छत्तीसगढ़ प्रदेश में भी प्रथम नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता की गणना न करते हुए शासकीय करण / संविलियन तिथि से वरिष्ठता की गणना कर 10 वर्ष की सेवा अवधि नहीं होने पर पेंशन से अपात्र कर दिया गया है। जबकि राज्य सरकार ने पुरानी पेंशन लागू कर दी है। छत्तीसगढ़ के कोरिया का मामला है जहाँ 1998 से शिक्षा विभाग में कार्य कर रही शिक्षिका जिसे 2018 में शासकीय करण करते हुए शिक्षा विभाग में संविलियन किया गया है। संविलियन के पूर्व 20 वर्ष की सेवा अवधि को शून्य मानते हुए 10 वर्ष सेवा नहीं होने का हवाला देकर ओपीएस / पेंशन से वंचित कर दी गई है। 

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी सम्पूर्ण अवकाश लिस्ट यहाँ देखें। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट निर्णय  प्रदेश के कर्मचारी में भी जगी आस - प्रदेश के करीब 20 हजार एलबी संवर्ग के शिक्षकों को पुरानी पेंशन से वंचित होना पड़ सकता है। हालाँकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय के बाद यहाँ के कर्मचारी भी हाईकोर्ट का रुख कर सकते है। क्योंकि यहाँ भी एलबी संवर्ग के शिक्षकों के 20 - 20 वर्ष के सेवा अवधि को शून्य कर दी गई है। और 2018 संविलियन तिथि से वरिष्ठता का गणना किया जा रहा है। 2018 वरिष्ठता का गणना होने के कारण 2028 तक रिटायर होने वाले कर्मचारी पुरानी पेंशन से वंचित हो जायेंगे। वही अन्य कर्मियों को भी पूर्ण लाभ नहीं मिलेगा। कुल मिलाकर प्रथम नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता की गणना नहीं होने और ओपीएस से वंचित होने पर यहाँ के कर्मचारी भी हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकते है। 

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