ब्रेकिंग - आरक्षण के मुद्दे पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला , 50 फ़ीसदी से अधिक आरक्षण असंवैधानिक , अनु. जाति को पुनः मिलेगा 16 फ़ीसदी आरक्षण Breaking - Big decision of the High Court on the issue of reservation, more than 50% reservation is unconstitutional, ar. Caste will now get 16 percent reservation again

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला ,, 50 फ़ीसदी  आरक्षण को बताया असंवैधानिक , 2012 में राज्य शासन ने किया था 50 से 58 फीसदी आरक्षण Big decision of Chhattisgarh High Court, said 50% reservation is unconstitutional, in 2012 the state government had done 50 to 58 percent reservation

a2zkhabri.com बिलासपुर - पूर्ववर्ती सरकार ने अनुसूचित जाति की आरक्षण को 16 फ़ीसदी से घटाकर 12 फ़ीसदी कर दिया था , वही अनु. जनजाति के आरक्षण को 20 से बढाकर 32 फ़ीसदी कर दिया था और  अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 14 फ़ीसदी यथावत रखी गई थी। पूर्व वर्ती सरकार के उक्त फैसले से आरक्षण की सीमा 50 बढ़कर 58 हो गई थी। अनु. जाति की आरक्षण 16 से घटकर 12 होने पर गुरुघासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के द्वारा इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। 10 वर्षों से लम्बी सुनवाई के बाद 19 सितम्बर 2022 को इस पर फैसला आया और 58 फ़ीसदी आरक्षण को रद्द करते हुए पूर्व की भांति 50 फ़ीसदी आरक्षण को लागू कर दी है। पूर्व आरक्षण के नियमानुसार राज्य में अनु. जाति को 16 फ़ीसदी , अनु. जनजाति को 20 फ़ीसदी और पिछड़ा वर्ग को 14 फ़ीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। 

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हाईकोर्ट में दायर की गई थी 21 याचिकाएं  - 58 फ़ीसदी आरक्षण लागू होते ही कोर्ट में अलग-अलग 21 याचिकाएं दायर कर शासन के आरक्षण नियमों को अवैधानिक बताया गया। याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता मतीन सिद्धिकी, विनय पांडेय और अधिवक्ता श्याम टेकचंदानी की ओर से कहा गया कि शासन का फैसला शीर्ष अदालत के निर्देशों और कानूनी प्रावधानों के खिलाफ है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। वही इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर रही है लेकिन हाईकोर्ट ने भी इसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर ही निर्णय दिया है। 

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ज्ञात हो कि तत्कालिक रमन सिंह की सरकार ने अनुसूचित जनजाति एसटी के आरक्षण को 20 से बढ़ाकर 32, अनुसूचित जाति एसटी के आरक्षण को 16 से घटाकर 12 फीसदी और ओबीसी के आरक्षण को 14 फीसदी यथावथ रखा था जिससे छत्तीसगढ़ में आरक्षण की सीमा 50 से बढ़कर 58 फीसदी हो गई थी. मगर सोमवार को हाईकोर्ट के निर्णय के बाद आरक्षण का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है और इस पर सियासत भी जमकर हो रही है। 

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बिना सर्वे के शासन ने अनुसूचित जाति का घटा दिया आरक्षण - गुरु घासीदास साहित्य समिति ने अनुसूचित जाति का प्रतिशत घटाने का विरोध किया था। समिति का कहना था कि राज्य शासन ने सर्वेक्षण किए बिना ही आरक्षण का प्रतिशत घटा दिया है। इससे अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं को आगे चलकर नुकसान उठाना पड़ेगा। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 7 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा था, जिस पर हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है।

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सरकारी नियुक्ति के लिए 58 फ़ीसदी आरक्षण रद्द - दरअसल आरक्षण के मामले में हाई कोर्ट में जस्टिस गोस्वामी और जस्टिस पी साहू ने ये फैसला सुनाया है. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश में 58 फीसदी आरक्षण को रद्द कर दिया है. ये मामला 2011 में सरकारी नियुक्ति सहित अन्य दाखिला परीक्षा में आरक्षण से जुड़ा है. इस मामले में आज हाई कोर्ट ने 50 फीसदी  से ज्यादा आरक्षण के असंवैधानिक बताते हुए आरक्षण को रद्द कर दिया. बता दें कि 2011 में राज्य सरकार ने आरक्षण फीसदी बढ़ाया था, जिसे लेकर 2012 में हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. अब इस मामले में फैसला आया है जिसके अनुसार अब सरकारी नियुक्ति सहित अन्य दाखिला परीक्षा में 50 फीसदी आरक्षण के अनुसार ही नियुक्तियों में इसका बड़ा असर दिखेगा। 

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