पेंशन आंदोलन - पीएम , सीएम को 5 , 6 पेंशन तो कर्मचारियों को पुरानी पेंशन क्यों नहीं,, PM Gets 5 And CM Gets 06 Old Pension , No Money For Pension Employees

पुरानी पेंशन हेतु धीरे - धीरे पुरे देश में बगावत शुरू , नेता ले रहे 5 से 6 पेंशन वही कर्मचारी बुढ़ापा के सहारा हेतु लड़ रहे  PM Gets 5 And CM Gets 06 Old Pension , No Money For Pension Employees 

a2zkhabri.com न्यूज़ - उत्तर प्रदेश के लाखों कर्मचारी चुनाव के ठीक पहले अपने पुरानी पेंशन की बहाली हेतु राज्य सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिए है। कर्मचारी नेता का एक विडिओ सोशल मिडिया में तेजी से वायरल हो रहा है जिसमे उन्होंने बताया है कि प्रधान मंत्री को 05 पेंशन और मुख्यमंत्री को 06 पुरानी पेंशन मिल रही है। उक्त वायरल वीडियो पिछले कुछ दिनों से सोशल मिडिया में लगातर शेयर किया जा रहा है। वही सपा विधायक द्वारा जब तक कर्मचारियों को पुरानी पेंशन नहीं मिल जाती तब तक सारे पेंशन को त्याग करने का पत्र भी वायरल हुआ था। 

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राज्य सरकार ने पिछले चुनाव के पहले पुरानी पेंशन देने का किया था वादा - उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पिछले विधान सभा चुनाव के ठीक पहले अपने घोषणा पत्र में राज्य के कर्मचारियों हेतु पुरानी पेंशन को बहाली करने का वादा किया था। वही सत्ता में आने के बाद 05 वर्ष बीत गया और अपने कर्मचारियों से किया गया वादा अभी तक पूरा नहीं किया। यही कारण है कि राज्य के कर्मचारी अपने जायज एवं हक की मांग हेतु एक बार सड़क पर उतर आये है। राज्य में लाखों कर्मचारी पुरानी पेंशन की बहाली हेतु धरना प्रदर्शन कर रहे है। 

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प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री को कई पेंशन - ज्ञात हो कि 2004 के बाद नियुक्त किसी भी सरकारी कर्मचारी को पुरानी पेंशन देने के नियम को ख़त्म कर दिया है। पुरानी पेंशन को ख़त्म करने वाले और नियम बनाने वाले नेताओं की पूरी जिंदगी पेंशन में ही गुजरती है , वही कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बंद कर बुढ़ापे के सहारा को छीन लिया है। वायरल वीडियो के अनुसार प्रधान मंत्री को 05 पेंशन और मुख्यमंत्री को 06 पुरानी पेंशन मिलती है। कोई भी व्यक्ति एक बार विधायक या सांसद बनते ही वेतन के साथ - साथ उन्हें पुरानी पेंशन की भी पात्रता रहती है और ताउम्र पेंशन मिलती रहती है। 

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कर्मचारियों के बुढ़ापा का सहारा छीन गया - 2004 के बाद से नियुक्त किसी भी विभाग के अधिकारी कर्मचारी को पुरानी पेंशन की पात्रता नहीं है। पुरानी पेंशन के बदले एनपीएस लाया गया है जो कर्मचारियों के कोई काम का नहीं है। सिर्फ पेंशन के नाम पर मात्र छलावा है। शेयर मार्किट पर आधारित उक्त पेंशन से 60 हजार की तनख्वाह पाने वाले कर्मचारियों को रेटायरमनेट के बाद मात्र 500 - 700 रु. मासिक पेंशन बनती है। अब आप ही अंदाजा लगा सकते है कि महंगाई की इस बढ़ती दौर में 500 - 700 रु. में क्या होगा। इस तरह से 2004 की तात्कालिक केंद्र की भाजपा सरकार कर्मचारियों के बुढ़ापा का सहारा छीन लिया है। 

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पुरानी पेंशन हेतु राज्य स्वतंत्र , एनपीएस हेतु बाध्य नहीं - सुचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार पुरानी पेंशन हेतु पूर्ण स्वतंत्र है। केंद्र सरकार ने इसे राज्यों को लागू करने हेतु बाध्य नहीं किया है। भारत सरकार ने अधिसूचना दिनांक 22 दिसम्बर 2003 के द्वारा परिभाषित लाभ पेंशन प्रणाली को हटाते हुए एक नई पुनसंरचित परिभाषित अंशदान पेंशन प्रणाली कहा जाता है को 01 जनवरी 2004 से लागू किया है। राज्य सरकार यही कारण है कि चुनाव के समय पुरानी पेंशन देने का वादा करके वोट लेते है और सत्ता में आते ही अपने वायदे से मुकर जाते है। 

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