छत्तीसगढ़ से बड़ी खबर - कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों के जनरल प्रमोशन पर रोक लगाने युवक ने शुरू किया भूख हड़ताल Youth On Hunger Strike To Stop General Promotion Ruls Of Children From Class 1 to 8
a2zkhabri.com रायपुर - राजधानी रायपुर से बेहद ही चौकाने वाले,,, लेकिन अहम् खबर सामने आ रही है। राजधानी रायपुर में एक युवक ने शिक्षा के अधिकार कानून अधिनियम के खिलाफ ही हल्ला बोल दिया है। युवक वर्तमान शिक्षा व्यवस्था से इतना नाराज है कि अकेले ही राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब स्थित धरना स्थल पर भूख हड़ताल शुरू कर दिया है। युवक का मांग है कि कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों केजनरल प्रमोशन को तत्काल बंद किया जाए। साथ ही कक्षा 5 वीं एवं 8 वीं बोर्ड परीक्षा को फिर से शुरू करने की मांग कर रहा है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम तथा शिक्षा विभाग के ऊपर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का गंभीर आरोप लगाकर अकेले ही धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
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आंदोलनरत युवक का तर्क है कि , प्रदेश सहित पुरे देश में कॉम्पिटिशन का स्तर बढ़ते जा रहा है। ऐसे में बिना पढ़ाई किए सरकारी स्कूल से पास हुए बच्चे भविष्य में कोई भी कॉम्पिटिशन फाइट नहीं कर पाएंगे। कोरोना काल में बच्चों को जनरल प्रमोशन देना मज़बूरी हो सकती है। लेकिन सामान्य परिस्थिति में बच्चों को कक्षा 1 लीं से 8 वीं तक बिना स्कूल गए , बिना पढ़ाई किए , बिना परीक्षा दिए पास कर देना यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। बच्चों को भविष्य की समझ नहीं है लेकिन जानते है कि हम पढ़े या ना पढ़ें, पेपर बने या ना बने हम तो पास हो ही जाएंगे।
जनरल प्रमोशन नीव को कर रहा बर्बाद - युवक ने आरोप लगाया है कि शिक्षा निति के तहत बच्चों को बिना परीक्षा के पास कर देना उनके नीव को ख़राब करना है। पांचवीं और 8 वीं बोर्ड को समाप्त करना छात्रों के लिए घातक बनता जा रहा है। क्योंकि शिक्षा विभाग का आदेश है कि किसी भी बच्चे को फ़ैल नहीं करना है। यही नीति बच्चों के भविष्य को अंधकारमय कुँआ में धकेल रहा है। शिक्षा विभाग के नए नियम कायदे सुनने में भले ही अच्छे लगे लेकिन ये ऐसा है , जैसे बिना ट्रेनिंग और बिना हथियार के सैनिकों को जंग के मैदान में भेज देना है। यह पूरा आरोप आंदोलन कर रहे युवक ने लगाया है।
पढ़े या ना पढ़ें होंगे पास - वर्तमान शिक्षा प्रणाली ऐसा है कि बच्चों को किसी भी कारण से फ़ैल नहीं करना है। बच्चे पढ़े या न पढ़ें, स्कूल आए या न आए वे तो पास हो ही जाएंगे। दूसरी और बच्चों के शिक्षा गुणवत्ता को बढ़ाने लगातार नित नए प्रयोग कर रहे है , शिक्षक पढ़ाने में कम और विभागीय कार्य में ज्यादा ब्यस्त है। कोरोना काल में बच्चों को पास करना मज़बूरी हो सकती है , लेकिन सामान्य परिस्थिति में बच्चों को पास करना कदापि उचित नहीं है। बच्चों में पढ़ाई के ललक के साथ - साथ थोड़ी भय भी होनी चाहिए।
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उच्च कक्षाओं में बढ़ रहे ड्राप आउट - प्रदेश में लगातार उच्च कक्षाओं के बच्चे ड्रॉप आउट करते जा रहे है। जिसका प्रमुख कारण है बहुत से बच्चों का बिना पढ़ाई किये पास हो जाना। बच्चा 8 वीं तक शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत ऐसे ही पास हो जाता है। वही 9 वीं क्लास भी लोकल होती है जिसमे ज्यादा कड़ाई नहीं होती। 9 वीं पास होने के बाद अधिकांश बच्चे कक्षा 10 वीं में फ़ैल हो जाते है। यही कारण है कि पिछले कई वर्षों से कक्षा 10 वीं का परिणाम 50 फीसदी के आस पास रहता है। आगे चलकर सरकारी स्कूल में पढ़ने और बिना मेहनत के पास होने वाले अधिकांश बच्चे कम्पीटशन एग्जाम में सफल नहीं हो पाते। कक्षा 8 वीं तक बिना मेहनत के पास होने वाले बच्चों का भविष्य अंधकार मय होते जा रहा है।
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